समाचार विश्लेषण: राजेश सिरोठिया
बरसों बाद नामांकन भरने की तिथि के पहले ही कांग्रेस के सभी 28 प्रत्याशियों के नाम सामने आना कांग्रेसियों के लिए वाकई बड़ी धटना है। अंदरखाने से यह बात पूरी शिद्दत से प्रसारित हो रही है कि उपचुनावों में टिकटों की प्रक्रिया से लेकर प्रचार प्रसार तक सभी मुहिम से दिग्विजय सिंह को दूर रखा जाएगा। कमलनाथ लगातार कहते आ रहे थे कि सर्वे में जो जीत की गारंटी होगा वही हमारा प्रत्याशी होगा। वह अब भी यही बात कह रहे हैं। लेकिन घोषित उम्मीदवारों के नामों और उनके सियासी झुकावों के तरफ बारीकी से निगाह डालेंगे तो अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि इनमें कितने नाम सर्वे मेंं जिताऊ उम्मीदवार के बतौर निकले हैं और कितनों के नामों की वल्दियत में दिग्विजय सिंह का नाम लिखा है।
अंग्रेजी में एक मशहूर कहावत है – वन केन लव हिम, वन केन हेट हिम बट नोबडी के इग्नोर हिम यानि कोई किसी को प्यार कर सकता है, नफरत कर सकता है लेकिन उसकी अनदेखी कोई नहीं कर सकता। मध्यप्रदेश की बीते तीस साल की कांग्रेस की सियासत में यह जुमला दिग्ेिवजय सिंह पर पूरी तरह फिट बैठता है। मैदान के बाहर बैठकर भी फ्रंट फुट पर खेलने की कला के वह माहिर हैं।2018 के चुनावों में उन्होंने यह बखूबी करके दिखाया। कमलनाथ की तेरह महीने की सरकार के दौरान भी उनके दबदबे को कोई कम नहीं कर सका। यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया तो थक हार के कांग्रेस को ही अलविदा कह गए। कुछ लोग सिंधिया के कांग्रेस के पलायन के लिए कमलनाथ से ज्यादा दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार मानते हैं। लेकिन दिग्गी राजा का जलजला सत्ता में रहते हुए भी कायम था और अभी विपक्ष में रहते हुए भी वह लोगों के लाख चाहने के बावजूद बरकरार है।

दिग्विजय सिंह ने ज्यादातर मामलों में सीधे तौर पर अपने समर्थकों के नाम आगे बढ़ाने के बजाए इस तरीके से आगे बढ़ाए कि कमलनाथ सहित कांग्रेस के कई दिग्गज भी नहीं समझ सके कि आखिर माजरा क्या है? 28 घोषित टिकटों में से 24 नाम ऐसे हैं जो सीधे या परोक्ष रूप से राजा दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जा सकते हैं। यानि कई नाम दिग्गीराजा के बजाए उनके खास समर्थकों ने आगे बढ़ाए। सांची में मदन अहिरवार(चौधरी) को टिकट पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे के कारण मिला है तो ग्वालियर में प्रद्युम्न तोमर और सतीश सिकरवार का टिकट सज्जन सिंह वर्मा के दखल के चलते हुआ है। इसी तरह मुरैना में राकेश मावई को टिकट दिग्गी खेमे ने रामनिवास रावत को आगे रखकर दिलवाया। इमरती देवी के खिलाफ सुरेश राजे का टिकट दिग्गी समर्थक ग्वालियर के नेता अशोक के जरिए मिला है। इसी तरह बड़ा मलेहरा में सियाराम भारती लोधी का टिकट दिग्गी खेमे के नेता छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेंदी की सिफारिश पर मिला तो जौरा में पंकज उपाध्याय का टिकट राजा ने जीतू पटवारी के जरिए फायनल कराया। सुमावली में अजब सिंह कुशवाह , सुरखी में पारूल साहू केशरी या सांवरे में प्रेमचंद गुड्डू के टिकट को कमलनाथ भले ही अपनी सर्वे सूची का माने लेकिन ये सभी दिग्गीराजा से जुड़े हुए नेता हैं जो कभी उनसे अलग नहीं हो सकते।
भांडेर में फूूल सिंह बरैया , दिमनी में कांग्रेस के तमाम दावेदारों को एक तरफ करते हुए बसपा से आए रवीद्र सिंह तोमर का टिकट भी दिग्गी राजा की सिफारिश का है। इसी तरह अनूपपुर में विश्वनाथ सिंह का टिकट अजय सिंह- दिग्विजय सिंह के खाते का है तो अंबाह में सत्यप्रकाश सखवार, गोहद में मेवाराम जाटव का टिकट डा. गोविंद सिंह- दिग्विजय सिंह के खाते में गया है। इसी तरह करेरा में प्रागीलाल जाटव, पोहरी से हरीवल्लभ शुक्ला,अशोक नगर से आशा दोहरे, मुंगावली से कन्हैयालाल लोधी, ब्यावरा से रामचंद दांगी, आगर से विपिन वानखेड़े, हाट पीपल्या से राजवीर सिंह बघेल, मांधाता से उत्तमपाल सिंह पूर्णी, नेपानगर से रामकिशन पटैल से लेकर सुवासरा में राकेश पाटीदार का टिकट भी दिग्गी राजा की बदौलत फायनल हुआ है। सूत्रों की माने तो बदनावर में दिग्गी राजा धार के कद्दावर बाहूबली नेता और शराब कारोबारी बालमुकुंद गौतम के भाई मनोज गौतम को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन कमलनाथ ने जब सर्वे के आधार पर अभिषेक सिंह बंटी बना को टिकट मिला तो गौतम ने उमंग सिंघार की मदद से उनका टिकट कटवाकर कमल सिंह पटैल को चुनाव मैदान में उतरवा दिया। कमल सिंह पटैल गुजराती पाटीदार माने जाते हैं जिनके स्थानीय पाटीदारों के 40 हजार मतदाताओं के मुकाबले 12 हजार ही मतदाता हैं। इसी तरह मेहगांव में सर्वे मे सबसे ऊपर नाम राकेश सिंह चतुर्वेदी का था। दूसरा नाम था ब्रजकिशोर शर्मा का था जिनको कमलनाथ भी टिकट देना चाहते थे। लेकिन राकेश सिंह को रोकने डा. गोविंद सिंह ने अपने भांजे राहुल भदौरिया का नाम आगे बढ़ाया. कमलनाथ ने इसे वीटो किया तो राजा दिग्विजय सिंह ने धीरे से अटेर इलाके के हेमंत कटारे का नाम आगे बढ़ाकर चौधरी राकेश सिंह का पत्ता कटवा दिया। जाहिर सी बात है कि अब कमलनाथ के सर्वे के जिताऊ 28 नामों में से 24 पर राजा दिग्विजय सिंह का नाम लिखा है। अब ये जीते तो राजा का दबदबा हारे तो ठीकरा नाथ के माथे पर