संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने मातृ स्वास्थ्य और परिवार नियोजन को आगे बढ़ाने में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को मान्यता दी है। यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनम ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव को पट्टिका और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में भारत के साथ साझेदारी के लिए यूएनएफपीए की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की कार्यकारी निदेशक नतालिया कनेम ने कहा है कि “ भारत ने गरीबी कम करने, विद्युतीकरण, स्वच्छ पानी और स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।” भारत की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर आईं एक साक्षात्कार के दौरान कनेम ने भारत की परिवर्तनकारी उपलब्धियों के लिए सराहना की।
उन्होंने कहा “भारत में गरीबी में भी काफी कमी आई है, विद्युतीकरण में प्रगति और सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता के क्षेत्र में भारत ने काफी सुधार किया है।” कनेम ने विशेषकर ग्रामीण समुदायों में देखी गई तीव्र प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत में प्रगति की गति देश और दुनिया के लिए काफी सुखद है।”
भारत के साथ यूएनएफपीए की साझेदारी के 50 साल पूरे होने पर कनेम ने विकास को आगे बढ़ाने में भारत सरकार और हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने “मातृ मृत्यु दर को कम करने, बाल विवाह में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए भी भारत की सराहना की। उन्होंने कहा, यह सांस्कृतिक बदलाव का दौर है जहां लड़कियों को शिक्षित किया जा रहा है और महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है।”
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मातृ मृत्यु दर को शून्य पर लाने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मातृ स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। इनमें सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना (सुमन), प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) और दाई सेवा पहल के तहत सुनिश्चित गुणवत्ता और सम्मानजनक मातृत्व देखभाल शामिल है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक आराधना पटनायक, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) की संयुक्त सचिव मीरा श्रीवास्तव, यूएनएफपीए के एशिया प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक पियो स्मिथ और यूएनएफपीए में भारत की प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोजनार की उपस्थिति में, डॉ. कनम ने 2000 और 2020 के बीच मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को 70 प्रतिशत तक कम करने में भारत के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की, जिससे भारत 2030 से पहले एमएमआर को 70 प्रतिशत से नीचे लाने के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करने की स्थिति में आ गया है। इस उल्लेखनीय प्रगति ने देश भर में हजारों महिलाओं, विशेष रूप से वंचित समुदायों की महिलाओं के जीवन को बचाया है।
भारत का परिवार नियोजन कार्यक्रम नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, कुल प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर (टीएफआर-2) से नीचे आ गई है। पिछले कुछ वर्षों में और हाल ही में सबडर्मल इम्प्लांट्स और इंजेक्टेबल डिपो मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन एसीटेट (डीएमपीए) को शामिल करने के साथ-साथ यूएनएफपीए ने गर्भनिरोधक विकल्पों का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जैसे कि भारत ने मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य (पीएमएनसीएच) और परिवार नियोजन 2030 (एफपी 2030) वैश्विक साझेदारी में प्रमुख स्थान प्राप्त किया, वैश्विक प्रजनन स्वास्थ्य मंचों पर मंत्रालय की अग्रणी भूमिका को स्वीकार किया गया है।
बैठक के दौरान, डॉ. कनम ने महिलाओं, लड़कियों और युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में भारत के प्रयासों में सहयोग के लिए यूएनएफपीए की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
यूएनएफपीए, भारत सरकार के साथ साझेदारी के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। हमारा देश ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण की ओर आगे बढ़ रहा है और यह आयोजन भारत में प्रत्येक महिला और युवा व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के साझा मिशन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस कार्यक्रम में परिवार नियोजन/गर्भाधान-पूर्व एवं प्रसव-पूर्व निदान तकनीक/एबीपी अतिरिक्त आयुक्त डॉ. इंदु ग्रेवाल, मातृ स्वास्थ्य एवं टीकाकरण अतिरिक्त आयुक्त डॉ. पवन कुमार, पोषण एवं किशोर स्वास्थ्य उपायुक्त डॉ. जोया अली रिजवी, यूएनएफपीए के प्रतिनिधि और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।