मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इंदौर में आयोजित दो दिवसीय बौद्धिक सम्पदा संगोष्ठी में विचारों के अमृत मंथन से जो भी निष्कर्ष निकलेगा, उस निष्कर्ष पर मध्यप्रदेश सरकार व्यवस्था बनाने का कार्य करेगी। आने वाले समय में बौद्धिक सम्पदा क़ानून के संदर्भ में अनेक चुनौतियाँ है। ऐसे में उच्च न्यायालय द्वारा इस तरह की संगोष्ठी का आयोजन किया जाना एक सराहनीय पहल है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सर्वसुलभ और समदर्शी न्याय की सुलभता के लिए न्यायपालिका से समन्वय की कमी नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
दो दिवसीय संगोष्ठी में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी, न्यायाधिपति जस्टिस सतीश चन्द्र शर्मा, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस सुरेश कुमार कैत, न्यायाधिपति जस्टिस संजीव सचदेवा, न्यायाधिपति जस्टिस सुश्रत अरविंद धर्माधिकारी, एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह, मध्यप्रदेश स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमी के डायरेक्टर कृष्णमूर्ति मिश्रा, आईएनटीए की दक्षिण एशिया की रिप्रेजेंटेटिव ऑफिसर गौरी कुमार और यूके बौद्धिक सम्पदा की डिप्टी डायरेक्टर इंटरनेशनल पॉलिसी, साराह रॉबर्ट्स फावेल उपस्थित थे। संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि “यतो धर्म:, ततो जय:। उन्होंने उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी न्याय प्रणाली सदैव प्रेरणास्पद रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान सम्पदा के निर्धारण से आने वाले समय में कई चुनौतियां आएंगी। इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने में इस तरह का आयोजन उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा न्याय सम्पदा संवर्द्धन के लिए बनायी गई नई नीति-2016 की सराहना की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि न्यायपालिका सदैव क्रियाशील रही हैं, इसकी मिसाल कोविड के कठिन काल में भी सतत् रूप से काम करना है।
संगोष्ठी के प्रारंभ में न्यायाधिपति जस्टिस सुश्रत धर्माधिकारी ने स्वागत उद्बोधन दिया और दो दिनों में होने वाले विभिन्न सत्रों की जानकारी दी। दक्षिण एशिया की प्रतिनिधि गौरी कुमार ने संस्था की जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 187 देशों में बौद्धिक सम्पदा के संदर्भ में कार्य करने के लिए संगठन विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि भारत बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
मध्यप्रदेश के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के क्षेत्र में न्यायपालिका पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। बौद्धिक सम्पदा के अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय की डिप्टी डायरेक्टर साराह रॉबर्टस फावेल भारतीय परिधान पहने थीं। उन्होंने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति जस्टिस सचदेवा ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रबल पक्षों पर चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट के जज माननीय जस्टिस शर्मा व जस्टिस माहेश्वरी ने अपने विद्वत्ता से परिपूर्ण उद्बोधनों से बौद्धिक सम्पदा अधिकार की संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। जस्टिस माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश की न्यायदान प्रणाली अत्यंत सशक्त रूप से कार्य कर रही है, जिसमें राज्य सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आगे भी इसी प्रकार न्यायदान की प्रक्रिया सुलभ बनाने में संसाधनों की व्यवस्था करे, जिससे न्यायपालिका अपना कार्य दृढ़ता से करती रहे। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने इस आयोजन के विभिन्न स्वरूपों और उद्देश्यों से अवगत कराया।
संगोष्ठी का आयोजन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और मध्यप्रदेश स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमी द्वारा इंटलेक्चुल प्रॉपर्टी ऑफिस यूनाइटेड किंगडम और इंटरनेशनल ट्रेडमार्क एसोसिएशन के सहयोग से किया जा रहा है। कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं विधायकगण भी उपस्थित थे।
रविवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति जस्टिस माहेश्वरी के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी होगी। संगोष्ठी में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ के न्यायाधिपति गण और प्रदेश के सभी ज़िलों के न्यायाधीश भाग ले रहे हैं।