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Dopahar Metro > Loksabha Election > बिहार: चाचा बाहर, भतीजा अंदर; बैकफायर न कर जाए भाजपा की रणनीति
Loksabha Election

बिहार: चाचा बाहर, भतीजा अंदर; बैकफायर न कर जाए भाजपा की रणनीति

Dopahar Metro
Last updated: March 19, 2024 10:08 AM
By Dopahar Metro
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7 Min Read
chirag paswan vs pashupati paras in bihar may impact bjp nda strategy 1710813034
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पटना. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का फैसला हो चुका है। जहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार की 17 सीट, जनता दल (यूनाइटेड) 16 सीट और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पांच सीट पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि राजग में शामिल केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के दावे को नजरअंदाज किया गया है। यानी उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई है। ऐसे में बिहार की कुछ सीटों पर लड़ाई रोचक हो सकती है।

बिहार का ये सीट समझौता चिराग पासवान के लिए एक महत्वपूर्ण जीत माना जा रहा है। एनडीए ने उनके चाचा को बाहर करने का फैसला किया है। पशुपति पारस केंद्रीय मंत्री हैं और वह लोक जनशक्ति पार्टी के एक धड़े के प्रमुख हैं। वर्तमान लोकसभा में उनके पांच सांसद हैं। ताजा घटनाक्रम संभवतः बिहार की कुछ सीटों पर एलजेपी बनाम एलजेपी की लड़ाई के लिए मंच तैयार कर सकता है। ऐसी खबरें हैं कि सोमवार को सीट-बंटवारे समझौते की आधिकारिक घोषणा के बाद पारस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल छोड़ दिया है।

पारस को हटाया, चिराग को गले लगाया

पशुपति कुमार पारस राम विलास पासवान के भाई हैं। उन्होंने जून 2021 में चार अन्य एलजेपी सांसदों के साथ चिराग पासवान के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इससे पार्टी दो धड़ों में बंट गई। हालांकि तब भाजपा ने पशुपति पारस को गले लगा लिया था और उनके गुट को मान्यता देते हुए केंद्र में मंत्री भी बनाया था। भाजपा नेतृत्व ने तब चिराग के दावों को नजरअंदाज कर दिया था। चिराग ने अक्टूबर 2020 में अपने पिता राम विलास पासवान की मृत्यु के बाद एलजेपी की कमान संभाली थी।

हालांकि, चिराग ने भाजपा के साथ अपने संबंधों में कभी खराब नहीं होने दिया और हमेशा यह कहते रहे कि वह प्रधानमंत्री मोदी के “हनुमान” हैं। दिलचस्प बात यह है कि चिराग ने हाल ही में गठबंधन के भीतर उन्हें बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद भी दिया था। लगभग तीन साल बाद, उनके प्रयासों का फल मिला और स्थिति उनके पक्ष में बदल गई है। अब, चिराग एनडीए के लाडले हैं और पशुपति पारस बाहर हैं।

अपनी पुरानी सीटों पर लड़ेंगे LJP के सांसद

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जब पिछले हफ्ते चिराग पासवान ने भाजपा के साथ अपनी पार्टी के सीट-बंटवारे की घोषणा की थी, तो पारस ने विद्रोह की चेतावनी दी थी और कहा था कि उनके मौजूदा सांसद अपनी सीटों से ही चुनाव लड़ेंगे। पारस ने कहा था कि उनकी पार्टी के अन्य सांसद उन सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वे 2019 के लोकसभा चुनाव में विजयी हुए थे। पशुपति पारस ने यह भी घोषणा की थी कि वह हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। हाजीपुर से पारस ही अभी लोकसभा सांसद हैं। लेकिन चिराग का कहना है कि उन्हें वह सीट इसलिए चाहिए क्योंकि उनके पिता स्वर्गीय राम विलास पासवान ने 8 बार लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। पारस ने तब कहा था, ”पार्टी के तीनों सांसद अपनी-अपनी सीटों से चुनाव लड़ेंगे।”

अब जो पांच सीटें चिराग पासवान को मिली हैं, उन पर एलजेपी बनाम एलजेपी मुकाबला देखने को मिल सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में, पशुपति पारस ने हाजीपुर सीट पर लालू प्रसाद की राजद के खिलाफ 2 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। उन्हें कुल मतदान का 53.72% वोट मिले थे। अगर पशुपति पारस अपनी कही बात पर आगे बढ़ते हैं तो हाजीपुर में चाचा बनाम भतीजे की दिलचस्प लड़ाई होगी।

2019 में एलजेपी ने जो अन्य 4 सीटें जीती थीं उन पर भी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले थे। नवादा में चंदन सिंह को 52.47%, वैशाली में वीणा देवी को 52.87%, खगड़िया में चौधरी मेहबूब अली कैसर को 52.74% और समस्तीपुर में रामचन्द्र पासवान को 55.15 फीसगी वोट मिले थे।

अब किसका साथ देंगे नीतीश कुमार?

2021 में चिराग पासवान के खिलाफ लड़ाई में पारस को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी मौन समर्थन प्राप्त था। ऐसा इसलिए था क्योंकि चिराग ने 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर और वोटों को विभाजित करके जेडी (यू) को काफी नुकसान पहुंचाया था। बिहार विधानसभा में जद (यू) की सीटों की संख्या 71 से घटकर 43 हो गई। इसका नतीजा ये निकला कि पहली बार, नीतीश कुमार भाजपा के जूनियर पार्टनर की स्थिति में आ गए थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पारस के साथ उनका समीकरण अब कैसे सामने आता है। एनडीए ने 2019 में राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी। इस बार, बीजेपी को उम्मीद होगी कि चाचा-भतीजे की लड़ाई राज्य में एनडीए के लिए परेशानी का सबब न बने।

बिहार में कब होगा चुनाव?

बिहार में राजग के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर हुए समझौते के तहत, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट दी गई है। बिहार की 40 लोकसभा सीट पर कुल सात चरणों में मतदान होगा। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होंगे। मतगणना चार जून को होगी।

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