नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर रोक लगाने की मांग वाली 230 याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने सीएए को लागू कर दिया है। इसके बाद विपक्ष और अन्य कई संगठन सरकार पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि यह कानून मुसलमानों के साथ पक्षपातपूर्ण है। इसके अलावा यह संविधान के मूल सिद्धातों के खिलाफ है। सीजेआई की अध्यक्षता में जस्टिस जेबी पारदीवाला औऱ मनोज मिश्रा की बेंच के सामने इन याचिकाओं पर सुनवाई की अपील की गई थी।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की तरफ से सीनियर ऐडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि एक बार जब शऱणार्थी हिंदुओं को नागरिकता मिल जाएगी तो इसे वापस नहीं लिया जा सकेगा। इसलिए मामले की अर्जेंट सुनवाई की जरूरत है। बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में ही संसद में पास हो गया था औऱ कानून भी बन गया था। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए वहां के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को फास्ट ट्रैक तरीके से नागरिकता दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए पोर्टल भी शुरू कर दिया है।
इस कानुन के तहत गैरमुस्लिम यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयो को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। सीएए लागू होने के एक दिन बाद ही केरल का राजनीतिक दल IUML सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। याचिका में कहा गया था कि इस कानून पर रोक लगा देनी चाहिए। इसमें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही ना करने भी मांग की गई थी। आईयूएमएल के अलावा डीवाईएफआई, कांग्रेस के देवव्रत साइका, अब्दुल खालिक और असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल की थी।
2019 में भी आईयूएमएल ने सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में इस कानून को भेदभाव पूर्ण बताया गया था। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं पर ही सवाल उठा दिया। तभी से 237 याचिकाओं पर सुनवाई पेंडिंग है। सीजेआई ने कहा था, मंगलवार को 190 से ज्यादा केसों पर सुनवाई होगी।