नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाते हुए पश्चिम बंगाल के डीजीपी को हटाकर राज्य के आईटी डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी बना दिया है। वहीं कमाडेंट जनरल (होमगार्ड) विवेक सहाय ने पुलिस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है। विवेक सहाय 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। सहाय ममता बनर्जी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले जब ममता बनर्जी के पैर में चोट लग गई थी तभी उन्हें सस्पेंड कर दिया गाय था।
कई बार विवाद में रहे पूर्व डीजीपी
पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को विवादों से भी पुराना नाता रहा है। उनपर टीएमसी को सपोर्ट करने के आरोप लगते रहे हैं। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव पहले वह कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे। उनपर आरोप था कि वह टीएमसी के इशारे पर नेताओं के फोन टैप करवाते हैं। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद उन्हें तब भी पद से हटाया गया था. हालांकि जब चुनाव खत्म हो गए तो वह फिर से पुलिस कमिश्नर बन गए।
जब धरने पर बैठ गई थीं ममता बनर्जी
सीबीआई ने जब कुमार के घर पर छापा मारा तो ममता बनर्जी इसके विरोध में धरने पर बैठ गईं। दरअसल सारदा चिट फंड मामले में सीबीआई रेड डालने पहुंची थी। ममता बनर्जी ने इसके खिलाफ 70 घंटे तक धरना दिया। जब सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी तब ममता ने धरना खत्म किया। कोर्ट ने राजीव कुमार से कहा था कि वह इस मामले की जांच में सहयोग करें।
बीते साल दिसंबर में ही उन्हें पश्चिम बंगाल का डीजीपी नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह आईटी डिपार्टमेंट के सचिव पद पर ही काम कर रहे थे। अब उनको पद से हटाए जाने के बाद इसपर भी राजनीति शुरू हो गई है। सीपीआई (एम) के राज्य में महासचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि राजीव कुमार सत्ताधारी दल की गड़बड़ियों को छिपाने में लगे रहते थे। वह शाहजहां शेख को बचाने में शामिल थे। वहीं भाजपा केराज्यसभा सांसद समीक भट्टाचार्या ने कहा कि चुनाव आयोग ने अच्छा फैसला किया है। इसके जवाब में टीएमसी ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले राजीव कुमार की पहली पोस्टिंग चंदननगर के सबडिविजनल पुलिस ऑफिसर के तौर पर हुई ती। बाद में वह बीरभूम में एसपी बने। 2008 में वह कोलकाता एसटीएफ के जॉइंट कमिश्नर थे। सारदा चिटफंड मामले में कुमार की टीम कारोबारी सुदिप्तो सेन और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार करने जम्मू-कश्मीर पहुंची थी। इसके कुछ महीने बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों के सीबीआई को सौंप दिया। राजीव कुमार पर इस मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे थे। जब उनके घर पर छापा पड़ा तो ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं।