नई दिल्ली: 26 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ‘मिशन शक्ति’ ने अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया था। 11 मई का ही वो दिन था जब भारत की अटल सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया और भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया। परमाणु शक्ति संपन्न होने के बाद भारत रक्षा क्षेत्र में लगातार तेजी से विकास कर रहा है। आज भारत के पास 5000 किलोमीटर रेंड वाली बलिस्टिक मिसाइलें हैं। सबमरीन हैं। 3 हजार किलोमीटर रेंज की के-4 सबमरीन बेस्ड मिसाइल सिस्टम है जो कि पाकिस्तान और चीन को भी अपने जद में ले सकता है।
क्या थी न्यूक्लियर टेस्ट की मजबूरी
1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के बाद भारत को अपनी रक्षा शक्ति बढ़ाने की जरूरत महसूस होने लगी थी। वहीं चीन और पाकिस्तान मिलकर परमाणु हथियार बनाने के प्रयास में लगे थे। ऐसे में चीन और पाकिस्तान की चुनौती के बीच भारत के लिए परमाणु शक्ति संपन्न होना जरूरी हो गया था। भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था। हालांकि इसने दुनिया को यह बताया कि भारत परमाणु हथियार संपन्न हो सकता है।
पीवी नरसिम्महा राव के देते थे श्रेय
अटल बिहारी वाजपेयी पोखरण परमाणु परीक्षण का श्रेय अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को देत थे। उनका कहना था कि 1996 में कुरसी संभालने के बाद राव ने बता दिया था कि बम तैयार है। मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया। इससे पहले ही राव ने इस परीक्षण की तैयारी कर रखी थी। 1996 में जब अटल बिहारी की सरकार आई तो यह स्थिर नहीं थी। ऐसे में परमाणु परीक्षण के लिए दो साल का इंतजार करना पड़ा।
अटल कलाम की जोड़ी ने दुनिया को चौंकाया
उस वक्त रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान के प्रमुख पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे। दोनों ने मिलकर परमाणु परीक्षण का प्लान तैयार किया था। मुख्य चुनौती अमेरिका की खुफिया एजेंसियां थीं। पहले भी जब परमाणु परीक्षण की कोशिश की गई थी तो अमेरिका ने टांग अड़ाई थी। ऐसे में सारा प्लान इस तरह करना था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भनक ही ना लगे। सीआईए भारत पर नजर रखे ही रहता था। उसने भारत पर नजर रखने के लिए सैटलाइट तक लगा दिए ते।
दरअसल अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न हो। 1995 में जब भारत ने परीक्षण का प्रयास किया तो अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने प्लान बर्बाद कर दिया। इसलिए 1998 में इस मिशन शक्ति को गुप्त रखा गया। वैज्ञानिक भी फौज के कपड़े पहनकर परीक्षण करने पहुंचे थे। कई महीने पहले से ही पोखरण में सीआईए को कन्फ्यूज करने शुरू कर दिया गया था। वे अंदाजा ही नहीं लगा पा रहे थे कि क्या हो रहा है।
पोखरण को परमाणु परीक्षण के लिए इसलिए चुनाव गया क्योंकि यहां से आबादी काफी दूर थी। रेगिस्तान में बड़े-बड़े कुएं खोद दिए गए थे और इनमें तीन बम रखे गए थे। इसके बाद ऊपर से बालू के पहाड़ बना दिए गए। अमेरिकी सैटलाइट्स के चकमा देने के लिए रात में ही ट्रकों में सारा सामान पहुंचा दिया गया था। परीक्षण वाले दिन तेज हवाल चल रही थी। ऐसे में शाम को 3 बजकर 45 मिनट पर पहला धमाका किया गया। इस धमाके ने जमीन के नीचे सूर्य के बराबर तापमान पैदा कर दिया। चट्टानें भाप बनकर उड़ गई। इसके बाद तुरंत रेडिओ एक्टिविटी को रोक दिया गया। आसपास भूकंप के झटके महसूस हुए। भारत के परमाणु शक्ति संपन्न होने की खबर अमेरिका को लगी तो वह भी हैरान रह गया।