चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को तीन निर्दलीय विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही वर्तमान सरकार अल्पमत में आ गई। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10 विधायक हैं। दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, पुंडरी से रणधीर सिंह गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर ने विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस चीफ उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में अपने फैसले की घोषणा की है।
बीते दिनों जननायक जनता पार्टी के कुछ विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने का संकेत दिया है। जेजेपी ने मार्च में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा, “सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और चुनाव कराया जाना चाहिए। यह जनविरोधी सरकार है।” वहीं, जेजेपी नेता दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि भूपिंदर सिंह हुड्डा को लोगों का विश्वास खो चुकी सरकार को गिराने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हुड्डा को तुरंत राज्यपाल से मिलना चाहिए और उन्हें स्थिति से अवगत कराना चाहिए।
निर्दलीय विधायकों ने क्यों वापस लिया समर्थन?
धर्मपाल गोंदर ने कहा कि उन्होंने किसानों, महंगाई और बेरोजगारी समेत विभिन्न मुद्दों के कारण यह फैसला लिया है। उदय भान ने कहा, ”तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। बीजेपी सरकार को पहले जेजेपी के 10 विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया और अब निर्दलीय भी जा रहे हैं।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “नायाब सिंह सैनी सरकार अब अल्पमत में आ गई है। सैनी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उन्हें एक मिनट भी रहने का अधिकार नहीं है।” आपको बता दें कि हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
किस पार्टी के पास कितने विधायक?
बीजेपी: 40 विधायक
निर्दलीय: 7 विधायक
जननायक जनता पार्टी: 10 विधायक
कांग्रेस: 30 विधायक
हरियाणा लोकहित पार्टी: 1 विधायक
इंडियन नेशनल लोकदल: 1 विधायक
क्या कांग्रेस बना सकती है हरियाणा सरकार?
फिलहाल हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। तीन विधायकों के समर्थन के साथ इसकी संख्या 33 तक पहुंच गई है। यह बहुमत के निशान से 13 विधायक कम है।
ऐसे में हरियाणा त्रिशंकु विधानसभा के कगार पर है, जिसमें किसी भी एक पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है। ऐसे परिदृश्य में राज्यपाल आमतौर पर सबसे बड़ी पार्टी के नेता को 10 दिनों की अवधि के लिए सरकार बनाने का निमंत्रण देते हैं। इस अवधि के दौरान पार्टी को अन्य दलों से समर्थन हासिल करने का अवसर दिया जाता है।