लखनऊ: पूर्वांचल की धरती पर भले ही इन दिनों हिस्ट्रीशीट अपराधी रहे मुख्तार आंसारी की जेल में मौत के बाद सियासत गर्माई हुई है। तमाम दलों में उसके महिमा मंडन के खुलेआम प्रयास हो रहे हैं। इसके इतर इस लोकसभा चुनाव में कमोबेश सभी दलों ने दबंग राजनीति से अपने को किनारे करने की कोशिश की है।
यूपी में माफिया व अपराधियों के खिलाफ हाल के वर्षों में सरकार द्वारा की गई कठोर कार्रवाई का असर भी प्रत्याशियों के चयन में नजर आ रहा है। इन कारणों से चुनावी समर में लाव लश्कर के साथ कूदने वाले आपराधिक छवि के लोग इस बार शांत नजर आ रहे हैं। माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की मौत के कारण भी इस बार दबंग राजनीति पूर्वांचल में नजर नहीं आ रही है।
धनंजय सिंह जेल में
ऐसा नहीं है कि आपराधिक छवि के नेताओं को दलों ने प्रत्याशी नहीं बनाया है। तमाम मौजूदा सांसद ऐसे हैं, जिन पर दो से लेकर पांच-छह तक आपराधिक मामले हैं और उन्हें टिकट दिए गए हैं। इसके बावजूद यह दिख रहा है कि आपराधिक छवि के प्रत्याशियों की तादाद तुलनात्मक रूप से कम ही नजर आएगी। जौनपुर से चुनाव की तैयारी में लगे धनंजय सिंह जेल जा चुके हैं।
घोसी से सांसद अतुल राय सियासी समर से दूर हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में वाराणसी में पीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले माफिया अतीक अहमद की मौत हो चुकी है। लिहाजा बड़े नाम वाले ये तीनों नेता इस बार चुनाव मैदान में नजर नहीं आने वाले हैं। अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी के निधन ने भी अपराधी छवि के नेताओं का मनोबल तोड़ा है।
2019 में छठवें चरण में थे आपराधिक छवि के 36 प्रत्याशी
2019 के आमचुनाव में छठवें चरण में 171 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें से 36 आपराधिक छवि के थे। 2019 में श्रावस्ती से प्रत्याशी रहे धीरेंद्र प्रताप सिंह पर आठ मामले, प्रतापगढ़ से प्रत्याशी रहे अक्षय प्रताप सिंह पर चार मामले, भदोही से प्रत्याशी रहे रमेश बिंद पर छह मामले, श्रावस्ती से प्रत्याशी रहे हनुमान प्रसाद मिश्र के खिलाफ पांच आपराधिक मुकदमें, डुमरियागंज से प्रत्याशी रहे आफताब आलम पर तीन मुकदमें, सुल्तानपुर से प्रत्याशी रहे चंद्रभद्र सिंह पर छह मुकदमे, प्रतापगढ़ से प्रत्याशी रहीं राजकुमारी रत्ना सिंह पर छह मुकदमें, भदोही से प्रत्याशी रहे रंगनाथ मिश्रा पर पांच मुकदमें, बस्ती से प्रत्याशी रहे हरीश द्विवेदी पर पांच मुकदमें तथा भदोही से ही प्रत्याशी रहे रमाकांत यादव पर भी दो आपराधिक मुकदमें थे। इनमें से सिर्फ अभी बस्ती से भाजपा ने सांसद हरीश द्विवेदी को ही फिर से प्रत्याशी घोषित किया है।
2019 में वाराणसी में मोदी के खिलाफ अतीक अहमद था चुनाव मैदान में
2019 में सातवें चरण में 167 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, इनमें से 43 आपराधिक छवि के थे। सातवें चरण में सबसे अधिक आपराधिक छवि के उम्मीदवार वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। इनमें हाल ही में अपराधियों की गोलियों से छलनी हुए 50 से अधिक आपराधिक मामलों के आरोपी अतीक अहमद, आठ मामलों में आरोपी वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, पांच मामलों में आरोपी डा. शेख सिराज बाबा, दो आपराधिक मामलों में आरोपी आसीन यूएस का नाम प्रमुखता से शामिल है।
आपराधिक मामलों में आरोपी अफजाल समेत तीन सांसद फिर से मैदान में
वर्ष 2019 में सातवें चरण में ही घोसी से 13 आपराधिक मामलों में आरोपी बसपा प्रत्याशी अतुल राय भी थे जो सांसद चुने गए थे । बांसगांव से भाजपा प्रत्याशी कमलेश पासवान जिन पर पांच मामले दर्ज रहे थे, वह भी सांसद चुने गए थे। गाजीपुर से बसपा के प्रत्याशी रहे अफजाल अंसारी जो कि इस चुनाव में सांसद चुने गए थे इनपर भी पांच मुकदमें हैं।
इनके अलावा पिछली बार बलिया से सुभासपा प्रत्याशी विनोद, घोसी से प्रत्याशी रहे प्रवीण कुमार सिंह, बलिया से एसपी के प्रत्याशी रहे सनातन पांडेय, चंदौली से सपा प्रत्याशी रहे संजय सिंह चौहान, बलिया से हिंदु महासभा के प्रत्याशी मेजर रमेश चंद्र उपाध्याय आदि पर आपराधिक मुकदमें थे। इनमें से गाजीपुर से अफजाल अंसारी सपा, वाराणसी से अजय राय कांग्रेस, बांसगांव से कमलेश पासवान भाजपा टिकट मिल गया है। अन्य सभी टिकट पाने की होड़ से बाहर हैं।
एडीआर का विश्लेषण यह था
एडीआर की रिपोर्ट की मानें तो 2019 में छठवें चरण की 13 सीटों सुल्तानपुर, आजमगढ़, मछलीशहर, प्रतापगढ़, फूलपुर, संतकबीर नगर, भदोही, श्रावस्ती, डुमरियागंज, लालगंज, बस्ती, इलाहाबाद और अंबेडकर नगर 177 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। एडीआर ने इनमें से 172 उम्मीदवारों के दस्तावेजों का विश्लेषण किया। जिसमें पाया गया था कि 36 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे। इनमें से 29 उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी थे।
इसी प्रकार सातवें चरण की सीटें महाराजगंज, कुशीनगर, वाराणसी, गोरखपुर, बांसगांव, गाजीपुर, सलेमपुर, मिर्जापुर, बलिया, घोसी, देवरिया, चंदौली और राबर्ट्सगंज 167 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। जिनमें से 164 की कुंडली एडीआर ने खंगाली थी। इनमें से 43 उम्मीदवारों यानी 26 फीसदी आपराधिक छवि के थे। 36 उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी थे।