नई दिल्ली। Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के दौरान कम मतदान को लेकर राजनीतिक नफा-नुकसान के आकलन के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को मतदान के अंतिम आंकड़े जारी किए, जिससे पता चलता है कि वोटिंग उतनी भी कम नहीं हुई है, जितनी अंतरिम आंकड़ों में नजर आ रही थी।
निर्वाचन आयोग ने हालांकि पहले चरण के 11 और दूसरे चरण के 4 दिन बाद अंतिम आंकड़े जारी किए हैं, जिसके अनुसार, पहले चरण में 66.14 तथा दूसरे चरण में 66.71 फीसदी मतदान हुआ। अंतरिम आंकड़ों में यह करीब 62 एवं 61 फीसदी के करीब बताया गया था। इसकी तुलना 2019 के पहले दो चरणों के मतदान से की जा रही थी, जो दोनों चरणों में 69 फीसदी से अधिक था। तब माना जा रहा था कि मतदान 6 से 7 फीसदी कम हुआ था, लेकिन अब स्पष्ट है कि यह अंतर महज तीन फीसदी का है।
कम मतदान का चुनाव परिणाम पर असर नहीं
सीएसडीएस के निदेशक प्रो. संजय कुमार ने कहा, ”चुनाव में मतदान कम होने से परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि मतदान कम होने से सत्ताधारी दल को नुकसान हुआ या फायदा मिला हो। मान लीजिए कि 100 बार मतदान में कमी आई है तो 50 बार सत्ताधारी दल दोबारा सत्ता में आई है और 50 बार सत्ता चली गई है। जहां तक मतदान कम होने का सवाल है तो यह मामूली है, यह कोई आश्चर्यजनक नहीं है।”
उन्होंने कहा, ”करीब तीन फीसदी कम मतदान हुआ है। दरअसल, हम 2019 के चुनाव से मतदान की तुलना कर रहे हैं, इसलिए हमें मतदान कम लग रहा है। क्योंकि, 2019 में सबसे अधिक मतदान हुआ था। लेकिन, हम 2004, 2009 और 2014 के चुनाव से तुलना करें तो हमें 2024 में हुआ अभी दो चरणों का मतदान कम नहीं लगेगा। मतदान बढ़ता तो बेहतर होता। लेकिन, जो वोटिंग हुई है, उसमें मामूली कमी आई है।”
इससे पहले, मतदान का अंतिम आंकड़ा जारी होने में देरी को लेकर मंगलवार सुबह कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, ऐसा पहली बार हो रहा है कि पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के 4 दिन बाद भी चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी नहीं किया है। पहले चुनाव आयोग मतदान के तुरंत बाद या 24 घंटों के भीतर मतदान प्रतिशत का अंतिम डेटा जारी करता था।
आंकड़े जारी होने के बाद टीएमसी सांसद डेरेकओ‘ब्रायन ने सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव का दूसरा चरण समाप्त होने के चार दिन बाद चुनाव आयोग ने अंतिम आंकड़े जारी किए। पहले जारी आंकड़ों में 5.75 फीसदी की बढ़ोतरी (मतदान में उछाल)! क्या यह सामान्य है? मुझे यहां क्या समझ नहीं आ रहा है।