नई दिल्ली: पिछले महीने 9 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के करीब 13,700 फीट की ऊंचाई पर 12 किलोमीटर लंबे ‘सेला टनल’ का उद्घाटन किया तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनका शासनतंत्र बौखला गया। पहले तो चीनियों ने प्रधानमंत्री मोदी के अरुणाचल दौरे का विरोध किया और जब इस मोर्चे पर मुंह की खानी पड़ी तो 30 मार्च को चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों की चीनी नाम जारी कर दिया।
पीएम मोदी के अरुणाचल दौरे का विरोध करने को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने’हास्यास्पद’ करार दिया और जब चीन ने दूसरी बार हिमाकत दिखाई तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने उस कदम को संवेदनहीन बताया। दरअसल, 2017 के बाद से शी जिनपिंग शासन ने चौथी बार ऐसी हिमाकत की है और अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के चीनी नाम जारी किए हैं। एक बात और अहम यह है कि बीजिंग का यह कदमताल 14वें दलाई लामा की तवांग यात्रा के बाद उठाया गया है।
एस जयशंकर ने यह कहकर बीजिंग को करारा जवाब दे दिया है कि आप मेरे घर को नया नाम देकर उसे अपना नहीं बना सकते हैं। जानकारों का मानना है कि भारत, ताइवान और दक्षिण चीन के खिलाफ बीजिंग की आक्रामकता शी जिनपिंग को चीनी नागरिकों के सामने ‘महान एकीकरणकर्ता’ के रूप में पेश करने की एक कवायद भर है। इसके पीछे चीन का तथाकथित ऐतिहासिक गौरव छिपा है और शी जिनपिंग खुद को उस गौरवशाली इतिहास का सबसे बड़ा संरक्षक औऱ उस परंपरा को आगे ले जाने वाला सबसे बड़ा सैनिक मानते हैं।
दरअसल, जिस तरह माओत्से तुंग ने चीनियों को सम्मान दिया और देंग शियाओ पिंग ने चीन को आर्थिक सशक्तिकरण दिया, उसी तरह शी इतिहास में उस व्यक्ति के रूप में विख्यात होना चाहते हैं कि उन्होंने ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर पर सैन्य रूप से कब्ज़ा किया और छठे दलाईलामा के जन्मस्थान तवांग परभी कब्ज़ा कर चीन को एकजुट किया। चीन के लिए यह सैद्धांतिक रूप से एक माइंडगदेम हो सकता है लेकिन यह वास्तविकता से कोसों दूर है और एक भ्रमपूर्ण स्थिति है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने की हालिया कोशिश के पीछे लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार पर उंगली उठाना और विपक्ष को उकसाना है लेकिन चीन अपनी इस चाल में भी नाकाम साबित हुआ है। विपक्षी दलों समेत सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदों ने चीन की मंशा को भांपते हुए उसके कदम पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बता दें कि चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘‘जंगनान’’ में छह स्थानों के ‘‘मानकीकृत नामों’’ की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी। इस बार 30 स्थानों के नामों की सूची जारी की गई थी।