लखनऊ। Lok Sabha Election 2024: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) वैसे तो प्रदेश में सभी सीटें जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है, लेकिन अवध और पूर्वांचल की छह सीटें अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज उसके लिए काफी अहम हैं। यही वो सीटें हैं, बसपा ने जिसे सपा के साथ गठबंधन पर जीता था, लेकिन इन पर जीते अधिकतर सांसदों ने इस बार दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया है और वह बसपा को ही चुनौती दे रहे हैं। बसपा के लिए इन छहों सीटों पर दोबारा जीत का परचम लहराना बड़ी चुनौती है।
बदले समीकरण लड़ाई
बसपा पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार बदले समीकरण पर चुनाव लड़ रही थी। वर्ष 2019 के चुनाव में उसके साथ सपा थी और अधिकतर सीटों पर भाजपा से इस गठबंधन का सीधा मुकाबला हुआ था। जिसका लाभ बसपा को भी मिला था। अंबेडकरनगर को छोड़ दिया जाए तो बसपा को अधिकतर सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम मिले थे। खासकर श्रावस्ती में पहली बार जीत कर दर्ज की थी। श्रावस्ती सीट पहले बलरामपुर हुआ करती थी, परिसीमन के बाद इसका नाम बदल गया। बसपा इस बार बदले हुए समीकरण पर चुनाव लड़ रही है। सपा-कांग्रेस साथ है तो बसपा अपने दम पर मैदान में है। बसपा के टिकट पर पिछली बार जीत दर्ज करने वाले राम शिरोमणि सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार मुइनुद्दीन अहमद को टिकट दिया है। जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो इस सीट पर मुस्लिम 28 और दलित 17 फीसदी के आसपास हैं। बसपा ने इसी समीकरण के हिसाब से उम्मीदवार तय किया है।
बसपा के लिए रहा मुफीद
अंबेडकरनगर लोकसभा सीट वर्ष 1996 में अस्तित्व में आई है। इसके पहले यह अकबरपुर लोकसभा सीट हुआ करती थी। इस लोकसभा सीट में आने वाली पांच विधानसभाओं में चार कटेहरी, टांडा, जलालपुर व अकबरपुर अंबेडकरनगर जिले में है और गोसाईगंज अयोध्या में है। अकबरपुर लोकसभा सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती तीन बार वर्ष 1998 व 1999 और 2004 में चुनाव जीत चुकी हैं। अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से पिछली बार बसपा के रितेश पांडेय चुनाव जीते थे।
इस बार वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो यह सीट भी बसपा के लिए मुफीद रही है। इस सीट पर दलित 28 और मुस्लिम आबादी 15 फीसदी के आसपास बताई जा रही है। मायावती ने इसी समीकरण को ध्यान में रखकर इस बार मुस्लिम उम्मीदवार कमर हयात अंसारी पर दांव लगाया है। सपा ने बसपा से आए लालजी वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। अब देखना होगा कि किस पार्टी का समीकरण सटीक बैठता है।
जौनपुर में खेला बड़ा दांव
जौनपुर सीट पर भी बसपा ने वर्ष 2019 में जीत दर्ज की थी। पूर्व ब्यूरोक्रेट श्याम सिंह यादव को बसपा ने टिकट दिया था और वह जीते भी। बसपा ने इस बार उनका टिकट काटकर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट दिया है। धनंजय बसपा के टिकट पर यहां से 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। गाजीपुर से पिछला चुनाव अफजाल अंसारी जीते थे, इस बार वह सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
बसपा ने डा. उमेश सिंह को टिकट दिया है। घोसी से पिछली बार बसपा से अतुल राय चुनाव जीते थे, बसपा ने इस बार पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को टिकट दिया है। देखने वाला यह होगा कि बसपा का जातीय समीकरण कितना हिट साबित होता है।