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Dopahar Metro > National > मणिपुर हिंसा का काला सच, पुलिस ने ही महिलाओं को किया भीड़ के हवाले
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मणिपुर हिंसा का काला सच, पुलिस ने ही महिलाओं को किया भीड़ के हवाले

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें वाहन से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उन्हें भीड़ के हवाले कर दिया।

Dopahar Metro
Last updated: May 1, 2024 7:25 AM
By Dopahar Metro
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7 Min Read
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नई दिल्ली। मणिपुर में पिछले साल हुई जातीय हिंसा का काला सामने आ गया है। जिन जो कूकी समुदाय की महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराई गई, उन्हें पुलिसवालों ने ही भीड़ के हवाले किया था। सीबीआई की चार्जशीट में इस बात का खुलासा हुआ है कि जब हैवानों से बचकर महिलाएं पुलिस के पास मदद को पहुंची तो रक्षकों ने ही महिलाओं को हैवानों के हवाले कर दिया। आरोपपत्र में दावा किया गया है कि पुलिस महिलाओं को अपने वाहन में बैठाकर 100 मैतेई दंगाइयों की भीड़ के पास ले गई थी।

मणिपुर में पिछले साल हुई जातीय हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे। इसमें एक वो घटना सामने भी आई थी, जिसने देशवासियों को झकझोर कर दिया था। कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मैतेई समुदाय से जुड़े दंगाइयों ने सड़क पर निर्वस्त्र घुमाया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो घटना के काफी बाद सामने आया, जिससे पता लगा कि मणिपुर जातीय हिंसा में किस कदर जल रहा है। इस पूरे घटनाक्रम पर सीबीआई ने अपनी चार्जशीट को लेकर बड़े खुलासे किए हैं। सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है कि दोनों महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया गया। यह घटना राज्य में जातीय हिंसा के दौरान की है।

तीन महिलाएं बनने वाली थी भीड़ का शिकार, एक कैसे बची
आरोपपत्र में कहा गया है कि भीड़ ने उसी परिवार की तीसरी महिला पर भी हमला किया था और उसे निर्वस्त्र करने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे क्योंकि वह अपनी पोती को कसकर पकड़े हुए थी। तीसरी महिला तब भागने में सफल हो गई जब उस पर हमला करने वाला समूह उन दो महिलओं की ओर बढ़ने लगा जिनसे धान के खेत में दरिंदगी की जा रही थी।

पीड़ितों में एक कारगिल युद्ध में शहीद की पत्नी
आरोपपत्र में कहा गया कि तीनों पीड़ितों ने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से मदद मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। आरोपपत्र का विस्तृत ब्योरा देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी थी। अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें वाहन से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि उनके पास वाहन की चाबी नहीं है और कोई मदद नहीं की।

गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले साल चार मई की घटना के लगभग दो महीने बाद जुलाई में यह दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था जिसमें देखा गया कि दो महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है। सीबीआई ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई अदालत के समक्ष छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।

इसमें कहा गया कि एके राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियार से लैस लगभग 900-1,000 लोगों की भीड़ से बचने के लिए दोनों महिलाएं भाग रही थीं। इसमें कहा गया है कि एक भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किलोमीटर दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उनके गांव में जबरदस्ती घुस गई थी। भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया। अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़े पुलिस वाहन के पास जाने के लिए कहा।

दोनों महिलाएं पुलिस वाहन में घुसने में कामयाब हो गईं जिसमें दो पुलिसकर्मी और चालक पहले से बैठे थे, जबकि तीन-चार पुलिसकर्मी वाहन के बाहर थे। पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी वाहन के अंदर जाने में कामयाब रहा और वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए गुहार लगाता रहा लेकिन उसे भी बताया गया कि ‘चाबी’ नहीं है। पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था। सीबीआई का आरोप है कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की।

पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते रहे 
बाद में, चालक ने वाहन को ले जाकर करीब 1,000 लोगों की भीड़ के सामने रोक दिया। पीड़ितों ने पुलिसकर्मियों से उन्हें सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। जांच एजेंसी ने कहा कि भीड़ ने पहले उस व्यक्ति के पिता की हत्या की जो दो महिलाओं के साथ गाड़ी में बैठा था। इसके बाद वाहन में बैठे पुरुष पीड़ित को भी पीट-पीट कर मारा डाला गया। उनके शवों को गांव के पास सूखी नदी में फेंक दिया गया।

पुलिसकर्मी पीड़ितों को हिंसक भीड़ के हवाले कर वहां से चले गये। आरोपपत्र में कहा गया कि दंगाइयों ने महिलाओं को बाहर खींच लिया और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया। आरोपपत्र में कहा गया है कि तीसरी महिला ने अपनी पोती के साथ दूसरे गांव की ओर भागकर जान बचाई और वह अगले दिन किसी दूसरे गांव में अपने परिवार से मिली।

सीबीआई ने हुइरेम हेरोदास मेइती और पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है और एक किशोर के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है। मणिपुर पुलिस ने हेरोदास को जुलाई में गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं।

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