भोपाल : मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचाचत चुनाव को लेकर राज्य सरकार को एतिहासिक सफलता मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश में पचास फीसदी आरक्षण रखते हुए मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे सकती है। लेकिन आरक्षण किसी भी हालत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 में किए गए परिसीमन को भी मान लिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार और चुनाव आयोग इस मामले में एक सप्ताह में अपनी स्थिति स्पष्ट करे और चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करे। कोर्ट के फैसले के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, आज का दिन एतिहासिक है। सत्य की जीत हुई है। ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को प्रणाम है। ओबीसी आरक्षण को रुकवाकर कांग्रेस ने पाप किया था।
मजबूती से रखा पक्ष: भूपेंद्र सिंह
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा है। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की वस्तृत रिपोर्ट रखी है। कोर्ट ने कुछ और जानकारी मांगी। वह उपलब्ध करा रहे हैं।
2022 का परिसीमन भी मंजूर
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग 2022 के परिसीमन के आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करेंगे। यह आरक्षण किसी भी हालत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। राज्य निर्वाचन आयोग आरक्षण की मौजूदा वैधानिक स्थिति के आधार पर चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करेगा। निकायों के चुनाव पहले और पंचायतों के चुनाव उसके बाद कराए जाएंगे। एक सप्ताह में आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा और प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी।
ये न्याय नहीं: नाथ
सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसला आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने दिल्ली में कहा कि यह अन्याय है। न्याय नहीं हुआ। इस व्यवस्था से ओबीसी को 14 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं मिलेगा। भाजपा सरकार ने ओबीसी को लेकर सही से कोर्ट में पक्ष नहीं रखा। ट्रीपल टेस्ट की रिपोर्ट भी सही से नहीं पेश की। हमारी अभी भी मांग है कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।