नई दिल्ली।विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई के पहले 10 दिन में भारतीय शेयर बाजारों से 17,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता के बीच ऊंचे मूल्यांकन और मुनाफा काटने के लिए विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से निकासी कर रहे हैं। चीनी शेयरों में हालिया तेजी भी विदेशी निवेशकों को भारत से कुछ फंड चीन और हांगकांग में ट्रांसफर करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
इससे पहले पिछले अप्रैल महीने में भी मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से एफपीआई ने शेयरों से 8,700 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
पिछले तीन लोकसभा चुनावों में कैसा रहा एफपीआई का व्यवहार
लोकसभा इलेक्शन 2009: पिछले तीन लोकसभा चुनावों में चुनाव से पहले के दो महीनों और इलेक्शन के महीनों के दौरान भी एफपीआई शुद्ध खरीदार थे। 2009 में जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए ने केंद्र में सत्ता बरकरार रखी तो एफपीआई 20,117 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार थे। जैसे मार्च 2009 में 530 करोड़, अप्रैल 2009 में 7000 करोड़, मई 2009 में 20000 करोड़ और जून में 1000 रुपये की खरीदारी विदेशी निवेशकों ने की।
लोकसभा इलेक्शन 2014: साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले और उसके दौरान भी विदेशी निवेशकों ने जमकर खरीदारी की। एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में मार्च 2014 में 20000 करोड़, अप्रैल में 10000 करोड़, मई में 140000 करोड़ और जून 14000 करोड़ रुपये झोंके।
लोकसभा इलेक्शन 2019: इसके बाद मोदी सरकार 2.0 से जस्ट पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी विदेशी निवेशों ने भारतीय शेयर बाजार में खूब पैसे लगाए। 2019 के मार्च में विदेशी निवेशकों ने 34000 करोड़, अप्रैल में 21000 करोड़, मई में 8000 करोड़ और जून में 3000 करोड़ रुपये घरेलू मार्केट में डाले।
लोकसभा इलेक्शन 2024: इस बार स्थिति थोड़ी उलट है। मार्च 2024 में विदेशी निवेशकों ने 35000 करोड़ रुपये की खरीदारी की, लेकिन अप्रैल और मई में क्रमश: 9000 करोड़ और 17000 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (10 मई तक) अबतक शेयरों से 17,083 करोड़ रुपये निकाले हैं।
मई के 10 दिन बड़े भारी
इस तरह चालू माह के पहले 10 दिन में ही एफपीआई अप्रैल से अधिक की निकासी कर चुके हैं। एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। माना जा रहा है कि आम चुनाव के बाद भारतीय कंपनियों के मजबूत वित्तीय नतीजों की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार में निवेश बढ़ाएंगे।
क्यों कर रहे निकासी: बाजार विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव परिणाम स्पष्ट होने तक एफपीआई सतर्क रुख अपना सकते हैं, लेकिन नतीजे अनुकूल रहने और राजनीतिक स्थिरता की स्थिति में वे भारतीय बाजारों में बड़ा निवेश कर सकते हैं।