उप संचालक कृषि ने हरी झंडी दिखाकर रथ को किया रवाना
नर्मदापुरम। विश्व में पहली बार इफको द्वारा विकसित नैनो यूरिया (तरल) के प्रति किसानों में जागरूकता फैलाने के लिए आज उप संचालक कृषि जे.आर हेडाऊ द्वारा हरी झंडी दिखाकर मैनो यूरिया रथ को रवाना किया। इस अवसर पर सहायक संचालक कृषि योगेन्द्र बेडा, इफको के क्षेत्रीय अधिकारी राजेश पाटीदार एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। यह रथ 30 दिवस के लिये नर्मदापुरम् जिले के विभिन्न ग्रामों में भ्रमण करेगा एवं नैनो यूरिया (तरल) के उपयोग तथा लाभ के बारे में किसानों को जानकारी देगा। नैनो यूरिया (तरल) सभी फसलों के लिये उपयोगी है एवं यह फसल के लिए आवश्यक पौषक तत्व नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। नैनो यूरिया की एक बोतल (500 एम.एल) एक बैग यूरिया (45 कि.ग्रा.) के बराबर है। यह पर्यावरण को यूरिया उर्वरक के अधिक प्रयोग से होने वाले कुप्रभाव से बचाता है जिससे मृदा, वायु और जल प्रदूषित होने से बच सके। नैनो यूरिया कम पानी की दशा में भी अच्छा कार्य करता है। इस में खास बात सह है कि नाइट्रोजन कण पौधे के ऊपर से नीचे फ्लोयम के माध्यम से प्रवाह करते है। अतः जमीन में अगर कम पानी है तो भी फसल पर विपरित प्रभाव नहीं पड़ता है।
1एकड़ खेती में 125 लीटर पानी मिलाकर करें छिड़काव
नैनो यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन के कणों का आकार 20-50 नैना मीटर है तथा भार के आधार पर नाइट्रोजन की कुल मात्रा 4 प्रतिशत है। किसी भी फसल की शुरूआती अवस्था में पारम्परिक यूरिया के अनुसंशित मात्रा का 50 प्रतिशत उपयोग के उपरान्त नैनो यूरिया (तरल) की 2-4 एम.एल. मात्रा एक लीटर पानी में घोल कर नाइट्रोजन की आवश्यतानुसार छिडकाव करना चाहिए। अच्छे परिणाम के लिऐ 2 छिडकाव आवश्यक होते है पहला छिडकाव कल्ले / शाखाऐ निकलने के समय (अंकुरण के 30 से 35 दिन बाद या रोपाइ के 20 से 25 दिन बाद) तथा दूसरा छिडकाव फूल आने के 07 से 10 दिन पहले करना चाहिए। एक एकड जमीन के लिए 125 लीटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है। पर्णीय छिड़काव के बाद नैनो के कण टोमेटा एवं अन्य छिद्रों के माध्यम से आसानी से पौधों में प्रवेश कर जाते है और कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। पौधों के उपयोग के बाद बची हुई नाइट्रोजन रिक्तिकाओ मे जमा हो जाती है और आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे मुक्त होकर पौधे की वृद्धि एवं विकास में योगदान देती है। नैनो यूरिया की एक बोतल (500 एम.एल) की कीमत मात्र 240 रूपये है। जो कि पारम्परिक यूरिया से 10 प्रतिशत सस्ता होने के साथ ही यह प्रयोग करने वाले व्यक्ति, पर्यावरण वनस्पति एवं मृदा में पाये जाने वाले सूक्ष्म एवं अन्य जीव जन्तुओं के लिए भी सुरक्षित है। नैनो यूरिया एक गैर अनुदानित उत्पाद है, जिसके प्रयोग से दानेदार यूरिया पर होने वाले भारत सरकार के अनुदान के रूप में हो रहे भारी भरकम खर्च को भी कम किया जा सकता है।